औरत, आदमी और छत , भाग 14
भाग,14
मुझे जो पता था मैं आपको बता चुकी हूँ।
कुछ तो ऐसा है जो आप छिपा रही हैं। मैं ये मान सकता हूँ,कि मिन्नी का कहीं जाने का फैंसला भाभी के आने के बाद का लिया हुआ है,उसका गुस्सा मुझ पर जायज है,पर आप को तो वो बता कर गई होंगी ही,ये हो सकता है कि उन्होंने आप को मना कर दिया हो कि मुझे नहीं बताना।
पर मैडम मैं बहुत मजबूर हूँ और वो भी सिर्फ तब तक जब तक वो मेरे पास नहीं पहुंच जाती। मिन्नी का गुस्सा वाजिब है पर उसे ये भी तो सोचना चाहिए था कि जो फैसला मैं ले चुका हूँ उस से वापिस जाने का कोई सवाल ही नही है।
वो आप लोगों की निजी ज़िंदगी है वीरेंद्र जी, और मैं आप लोगों के निजी जीवन के बारे में अधिक नहीं जानती। हाँ विश्वास करें उसका फोन गर मेरे पास आता है तो मैं आपको अवश्य सूचित कर दूंगी। फिलहाल तो मैं घर जा रही हूँ।
और अगर उसनें यहाँ हॉस्टल में आपको फोन किया तो।
चौकीदार को बता कर जाँऊगी, मेरे घर का नम्बर मिंन्नी के पास है।
ये मेरा मोबाईल नम्बर है प्लीज् आप इसे भी रख लीजिए।
मैं चलने के लिए उठ खड़ी हुई थी। वीरेंद्र भी खड़ा हो गया था।
जी नमस्कार।
शुक्र है आज वार्डन हॉस्टल में नहीं थी ,वरना इतनी देर वीरेन्द्र के यहाँ बैठने पर पता नहीं क्या सोचती और क्या कहती।
मैं तैयार होकर दरवाजे पर ताला ही लगा रही थी कि नीचे से आवाज आई, नीरजा, फोन है।
आती हूँ । मैं सामान लेकर नीचे आ गई थी।
कौन बोल रहा है मैने रिसीवर हाथ में लेते हुए कहा था।
नीरजा, मिन्नी हूँ।
तुम, यार कैसी हो, फोन भी नहीं किया तुम्हें पता है कितनी परेशान हूँ मैं कन्नु और वीरेंद्र।वो रोज आते हैं अभी आधा घंटा पहले भी आये थे। तुम वापिस आ जाओ मिन्नी प्लीज़।
मुझे भी सुनोगी ,
हाँ बोलो,
यहाँ आये दो ही दिन हुऐ थे कि मेरा एक्सीडेंट हो गया था। तीन दिन हॉस्पिटल रही फिर काम और दर्द दोनों साथ चलते रहे। आज मेरी छुट्टी थी,तुम्हारे ऑफिस फ़ोन किया तो पता लगा, आज तुम लोगों की भी छुट्टी है।
तुमनें बताया भी नहीं, अब कैसी हो तुम? मिन्नी एक बात कहूँ, पता नहीं मुझे कहनी भी चाहिए या नहीं, वीरेंद्र का और तुम्हारा जो भी रिश्ता है मेरे ख्याल से वीरेंद्र उस के लिए बहुत केयरिंग है। तुम गर उसकी हालत देखती तो शायद तुम मिनिट से पहले यहाँ भागी चली आती।
अच्छा ये बताओ कब आ रही हो।
मुझे अभी लगेगा वक्त, ये मानो दिसम्बर के अतं में।आज बीस दिसंबर तो हो ही गया है।
मिन्नी एक बात बताओगी सच?
पूछो,
क्या तुम वीरेंद्र से प्यार नहीं करती, ये एकतरफा इश्क है क्या।
इश्क और मोहब्बत से जीवन नहीं कटता नीरजा डियर ।
ये मेरे सवाल कि जवाब तो नहीं हुआ न मिन्नी।मैने सिर्फ इतना पूछा है कि क्या तुम मोहब्बत करती हो उससे।
वो तो उसकी भाभी ने सरेआम प्रचार कर ही दिया था।
मुझे तुम्हारी जुबां से सुनना है मेरी दोस्त।
हाँ हाँ करतीहूं मोहब्बत उससे ,पर मुझे ये भी नहीं भूलना चाहिए कि मुझ पर तलाकशुदा का लेबल लगा हुआ हैऔर एक बेटी की माँ भी हूँ।
वीरेंद्र भी तो तलाकशुदा हे।
ये बात तुम हरेक को नहीं समझा सकती, नीरजा।
शायद इसकी जरूरत भी नहीं है, जिन दो लोगों ने जीवन इकट्ठा बिताना है उनकी समझ में आनी चाहिए ये बात।
एकलम्बी साँस ली थी मिन्नी ने।
शायद मैंने तुम्हें परेशान कर दिया। पर हकीकत से रूबरू ही कराया है। वीरेंद्र बहुत परेशान है तुम्हारे बिना। अरे हाँ एक मोबाईल नम्बर नोट कर लो प्लीज, ये उसका नम्बर है। मैंने उसे नम्बर बता दिया था। मैने उसका नम्बर पूछा तो बोली मैं तो पी सी ओ से फोन कर र ही हूँ।
मैने उसे बता दिया था कि मैं अभी घर के लिए निकल रही हूँ।।
उसने बताया था की वो दवा वगैरह ले रही है पहले से काफी बेहतर है।
मैने घर के लिए बस पकड़ ली थी।
क्रमशः
लेखिका ,ललिताविम्मी
औरत आदमी और छत
भिवानी, हरियाणा